Tag Archives: Gajendra Gajur

मैथिली मुक्तक : किएक नहि डरत

~गजेन्द्र गजुर~ मेहनत-बलसँ केहनो पत्थर फूटाए जाइछै । अन्हारो घरमे रोटी मुहँमे घोटाए जाइछै , किएक नहि डरत

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मैथिली गजल : केहन बात केलक ओ

~गजेन्द्र गजुर~ आखिए आखिए मे केहन बात केलक ओ॥ अपन जिनगी सँ क्षणमे कात केलक ओ॥ बिन छपरी केर हमर नेहक निवास॥ बुने बन सँ जहरक बर्षात केलक ओ॥

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मैथिली गजल : बेर बेर सवाल

~गजेन्द्र गजुर~ बेर बेर सवाल हमर याह रहैछै सत्य बात किए लगैत बेजाह रहैछै अपना टाग्ङ तर दाबल रहलो पर कछेर प पुहुचेने किए नाह रहैछै

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मैथिली गीत : सहिदक आत्मा जरए

~गजेन्द्र गजुर~ ननकिरबो मरए ,बुढबो मरए लइल अधिकार।। सहिदक आत्मा जरए,टसँमसाइ नहि जाली सरकार।। लहुमाला छिरियाल माएँ के आचरमे बोदम बोद नोर कऽ डिढीर फारल पाथरमे मिटौने नइ मिटत माँए मधेशक ललकार ।।

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मैथिली गजल : आजादी

~गजेन्द्र गजुर~ आजादीके ज्वाला दनकैत रहतै, ओसब ओहिना फनकैत रहतै, जुलुम कले चिच्यानञि रति भरि, चाहे बिरुद्धमे सनकैत रहतै,

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मैथिली कविता : ओ शान्ति छि’

~गजेन्द्र गजुर~ सर्वत्र सँऽ भगाय ल, मधेश मे आइब नुकाय ल, तबो जे छिन लेल क, ओ शान्ति छि ॥ जनह तन युद्ध-एनह गोहारि, गर्दमगोल भ पडय मारि, अन्तमे छाती मे समालि, बाकी रहल,

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मैथिली कबिता : अपन मधेश

~गजेन्द्र गजुर~ देख वृकति यही देशके, दिनानु दिन विग्रले जाय अपन मधेशके ॥ सब एक जुट निर्माण करब स्वदेश के, हरियर आवास बनायब अपन मधेशके॥ देख वृकति…

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मैथिली कविता : जागुऊ मधेश।।

~गजेन्द्र गजुर~ निकाइल सबटा गौहमन कऽ बिख, किए क त शोणित मे दिए मधेश लिख, बान्हल हाथ कऽ टुट्ल न राइस, पैर भाइज तौँ कि फेरो त गेलु फाइस॥

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कविता : एउटी चेलीको आत्म व्यथा

~गजेन्द्र गजुर~ * एउटी चेलीको आत्म व्यथा * सोचेको थिए आराम र विलासी, यहाँ कोठामा बसेछु, चढन पाए हुन्थो फासी, घृणा र देह व्यापार, म माथी नै सबै अत्याचार, जर्बजस्ती गर्छ छन मै माथी, बाध्य छु काट्न दिन र राति, … Continue reading

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कविता : एक मुठ्ठी भोजन

~गजेन्द्र गजुर~ *एक मुठ्ठी भोजन* जता-ततै गुन्जी रहेछ मानिसको रोदन॥ आशमा कछ-मछि एछ एक मुठ्ठी भोजन॥ कालो सफना हेर्नेको छत नै किन भाचिएन॥ भाचिएछ गरीबको यो मन॥ फैलाउ जति हार-गुहारे पनि॥

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