Category Archives: मैथिली मुक्तक

सुधा मिश्रक चार मैथिली मुक्तक

~सुधा मिश्र~ हे नुतन वर्ष हे नूतन वर्ष नवीन उमंग लअबिहा जीवलेल जीवके नव तरंग लअबिहा जुरेबा तुहु जुरायल देखि धरती गगन कलशमे सजाक प्रह्लाद प्रसंग लअबिहा सभ मायके बेटा तु बनिहे हर्ष पसरि जाई ओहन काज तु करिहे

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सुधा मिश्रका चार मैथिली मुक्तक

~सुधा मिश्र~ हमरो निंद कहाँ? जागल रहलौ अँहा तँ हमरो निंद कहाँ ? व्यक्त कलैछी अँहा हमरा शब्द कहाँ? बिन डोरेके कसल इ मजगुत गिरह बिनु अँहाके धडकने हमरो साँस कहाँ? स्वर्गक अनुभूति भेल अन्हरिया रातिमे चानक प्रवेश भेल

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मैथिली मुक्तक : डाक्टर भगवानक दोसर रुप

~सुधा मिश्र~ करोना डरे बन्द बाटघाट मल हल एहनमे अस्पताल अछि मात्र खुजल डाक्टर सचमे

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मैथिली मुक्तक : नव साल

~सुधा मिश्र~ भौतिक दुरी बढाक समाजिक दुरी घटायल स्वर्ग होइत छै अपन गाम दिव्य पाठ पढायल लकडाउन सँ भरिरहल

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मैथिली मुक्तक : हाथ नहि मिलाउ

~विनीत ठाकुर~ #कोरोना विशेष कनि दूरे रहु मीत हाथ नहि मिलाउ कुम्हरो निकलऽसँ पहिने मास्क लगाउ पसरल अछि सगरो

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मैथिली मुक्तक : कोरोना

~सुधा मिश्र~ हे देवो के देव हे महादेव धर्ती पर फेर त्राहिमाम हे विषधारी हे निलकंठ कोरोनाके करियौ रोकथाम

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मैथिली मुक्तक : गाम–घर डूबल

~विनीत ठाकुर~ नदी–नाला मे चलैय पानि अगम–अथाह वर्षा सँ भेल जनता केँ जिनगी तवाह ढहल पहाड़ कतेको

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मैथिली मुक्तक : किएक नहि डरत

~गजेन्द्र गजुर~ मेहनत-बलसँ केहनो पत्थर फूटाए जाइछै । अन्हारो घरमे रोटी मुहँमे घोटाए जाइछै , किएक नहि डरत

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मैथिली मुक्तक : ऋतुराज वशन्त

~विनीत ठाकुर~ फूल प्रकृतिकेँ श्रृंगार छी हम बगियाकेँ सुन्दर उपहार छी हम केव तोरु नै

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मैथिली मुक्तक : प्रिय प्राण हमर

~विनीत ठाकुर~ अहाँ छी जीनगीक चान हमर अहीँ पर सदिखन ध्यान हमर ई मधुर

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मैथिली मुक्तक : माय मिथिला

~विनीत ठाकुर~ माय मिथिलाकेँ संतान अहाँ राखु पूर्वजकेँ मान अहाँ छोडि़कऽ

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मैथिली मुक्तक : उलझन

~विनीत ठाकुर~ दहेज सँ खरिदल दुलहा पर भाग कि निक निशारात्रि मे अनोना दुलारक राग कि निक

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विनीत ठाकुरका मैथिली मुक्तक

~विनीत ठाकुर~ ————- मेंहदीकेँ रंग ——————– खनकेँ कंगना गमकेँ हाथमे मेंहदीकेँ रंग साओनकेँ फुन्ही संग मोनमे नवीण तरंग एहनमे तरसे श्रृंगार पिया दुलारक लेल घर आउ परदेशी रहु किछु दिन संग ।। १

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