Category Archives: थारू मुक्तक

माेती राम चाैधरी `रत्न´का पाँच थारु भाषी मुक्टक

~माेती राम चाैधरी `रत्न´~ मुक्टक १ सुने सबका, काम करे अपन मन्का कठै । सुखमे हाई-हाई, डुःख अपन ठन्का कठै । मेलमिलापके जिन्गी, सबहे सहयाेग कर्टी, नेपालीनके भाइचारा, डुनियाँ खन्का कठै । मुक्टक २ खाली हाट अाइल रही, खाली हाट … Continue reading

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थारू भाषी मुक्तक : मीठ मीठ गाला मर्ली

~चित्र लक्ष्मी~ पहिल भ्याँटम मीठ मीठ गाला मर्ली द्वासर भ्याँटम निंगारके प्याला भर्ली लौक लौक लौकती रह हमार प्रेमनैया-

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थारू भाषी मुक्तक : सिम फे किन्देनु

~सगर कुस्मी~ तुहिनसे बाट कारक लग सिम फे किन्देनु गलेम लागेन पाउडर, क्रिम फे किन्देनु अकेली रहो संग नै पके

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थारू भाषी मुक्तक : सडकमे अइठाँ

~छविलाल कोपिला~ कबो जाति विरोधी कबो अतिजाति सडकमे अइठाँ देखो यहाँ घेंघा फुलैटी उहे राष्ट्रघाती सडकमे अइठाँ यी देशके शासक ओस्ते हम्रहिन भेंरी नै कहल हुइही

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थारू भाषी मुक्तक : महजन्वक् ऋण चुकाब

~सत्यनारायण दहित~ प्रदेशसे आइतुँ डाई आब महजन्वक् ऋण चुकाब । लावा चोलिया गोनियाँ किने हसुलिया बजार जाब । बर्का बन्वम खर काटे बाबै आब जाई नै परहींन,

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थारू भाषी मुक्तक : बञ्जरभूमि

~छविलाल कोपिला~ बिना कारण हमार वस्ती बगाजाइठ् ओस्ते यहाँ रातारात आगी लगाजाइठ् हेरो ! यी बञ्जरभूमि,

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थारू भाषी मुक्तक : ख्वाजल बाटु

~राम पछलदङग्याँ अनुरागि~ पह्रल लिखल निपतीत लाती ख्वाजल बाटु मनक पिर दुख बुझ्ना छाती ख्वाजल बाटु संघ मुना संघ जीना सहारा जिन्दगी भर

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