Category Archives: भाषा-भाषी साहित्य

भोजपुरी कविता : दुःख

~वीरेन्द्र कानु~ अइसन बा दियरी कि प्रकाश हि देवेला सहेला लाखो दुःख लेकिन पेनि ना फुटेला फेर इ कइसन बा आदमी

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भोजपुरी पौराणिक कथा : बसन्त पञ्चमी

~वीरेन्द्र कानु~ माघ शुक्ल पञ्चमीके दिनके बसन्त पञ्चमी कहलजाला । इ दिनके वाणीपूजा, वागीश्वरी पूजा तथा सरस्वती पूजनोत्सवके रूपमे मनावलजाला । इहे दिन रतिकाम महोत्सव, आम्रमञ्जरी भक्षण महोत्सव तथा लेखनी पूजन महोत्सव भि विभिन्न जगहमे मनावल गइल मिलेला । हमनीके … Continue reading

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भोजपुरी कथा : भिखारी

~वीरेन्द्र कानु~ सांझ के समय रहे, नया सिजनके लिचि आ आम बजारमे एक दु दिनसे खुबे आवे जेसे बजार मे अउरी दिनके तुलना मे तनी भिड जादा होजात रहे । हरिहर तरकारीसे त बजारे भरल रहे । एकजने साहेब बहादुर … Continue reading

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नेवारी कविता : छन्त लुमंका

~अलका मल्ल~ नुगःया दुघालय् छ वया सिचुका बिल हिउगु लनिला मखु, अयनं छ वया तिवः बिल छम्ह मतिनामी यल नुगःया नुगःया झ्यातु क्वबिया वनी गुबलें जुई वयंथें गुबलें मिखाँ ख्वबि लःल धाई

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थामी भाषी कविता : गन्तव्या

~डम्बर थामी ‘अनुपम’~ तो बेरेङ उन्मुक्तिको गन्तव्या भेटाईसाकाई दोङ्पालीनामा पुटु कडेङ्ते चावाङान उभो-उभो लिपेन कडेङ्ते चालाको सिराक बुसिताङाले आमिङान गाइको अन्तरमाधा त्यै थाथ्यो

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मैथिली कविता : हे नव साल

~सुधा मिश्र~ उत्साह सँग उमंग लक आयब खुशीक नव तरंग लक आयब उतिम पहिचान लक आयब ठोर पर मुस्कान लक आयब हे नव साल घावक मरहम बनिक आयब गीतक सरगम बनिक आयब धानक पथार बनिक आयब नेहक पसार बनिक आयब

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थामी भाषी संस्मरण : रामेछापङा तिदु आथाङ चाला चाँडै निपान

~डम्बर थामी ‘अनुपम’~ निको पूर्खा यापती छुकु ङा सुनारी आजीकाई कापुते नातोले फिरी दिगोरे खाम लोङ्सा दाङुन्दुईछ । भुम्या देवाकाई साक्षी नातोले तोवानी खाम कापीते खेम्सा दाङुन्दुईछ । इतिहास ङा निको जातीय पियङ्दु योगदानको खाम । बलिदानको खाम । त्याग … Continue reading

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धिमाल भाषी कविता : धेमालाइको भासिङ सोच्याइने

~डा.सोमबहादुर चातेला~ ना हि धेमालाइको चाअ्का थामे ना हि धेमालाइको जाअ्का थामे ना ह्रुता हि, ना लेता हि ना केपाहा, ना दाङपाहा राजनिति ते पाहि केलाइको वाराङगेलाइ

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बज्जिका गजल : भार सहजतई ऊ !

~सञ्जय साह मित्र~ विजयजी, तोहर भार सहजतई ऊ ! विजयजी, तोहर मार सहजतई ऊ ! तोहर डाँटसे ही लोग डेरालई खुब विजयजी, तोहर झार सहजतई ऊ !

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धिमाल भाषी कविता : आजुआजाइको काथा

~डम्बर धिमाल ‘प्रकृति’~ आदिम युगको सताब्दिको पुराना काथा भूमि दोसाङ सिर्जा जेङ्का मानव सभ्यता उन्ठुँइ युगको पुर्खाको पुराना काथा सिकार घाका, हाँया माङ्का जिवन चक्र परिराउ नाङ्घाङ जिन्दगि बिति पाका

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मैथिली कविता : मोन मोर हरियाल अछि

~सुधा मिश्र~ बागबोन हरियर गाछ वृक्ष हरियर माटिक हरियरी सँ नभ भेल हरियर हरियर नुवामे मोन मोर हरियाल अछि हरियर पियर चुरीक खनक कमाल अछि पियाके रानी बनलौ नैहरक दुलारी लएला बेसाहिक पाजेब बड भारी

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बज्जिका लघुकथा : वातावरणके भोज

~सञ्जय साह मित्र~ मुखियाजी वातावरण दिवस मनएलन । प्रमुख प्रशासकीय अधिकृत, उपप्रमुख, प्रमुख सभी मिलके वडा कार्यालयमे थाला रोपलन । सयकडो लोग फोटो खिचलक । सामाजिक संजालमे अपलोड कएलक । कुछ पत्रकारके भी समाचार मिलल । वातावरण दिवसके खूब निमन … Continue reading

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धिमाल भाषी कविता : झेङफुरु

~अजितकुमार धिमाल~ फुरु झेङफुरु जेङ्नु कि फाइसालाम पुखे, तालि फाइसालाम नु कि तालि जेङ्खे । एन्साङ, धेमालाइता चेतना लोनु कि संघर्ष जेङ्खे,

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धिमाल भाषी कविता : समयेसाल

~डम्बर धिमाल ‘प्रकृति’~ समयेसाल्ता इस्का हिघाखे बोमि पार्हालाइहेङ सादुल्लि मापिघाखे दुल्पानु न्हाँम्खे, बोजात दिर मामानिकाआङ काथङ्काल दुल्हेपानु साता हान्ति जेङ्का दोका आजु आजाइको उक्ति परम्परा हि दुल्का काथा हाइपालि मानाल्काहेङ सालेङसोङ घुरि पागिल्घाखे

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सुधा मिश्रक दस मैथिली हाइकु

~सुधा मिश्र~ 1 प्रेम दिवस विवाहक प्रस्ताव लाल गुलाब 2 शीतलहर सिरकँक अभाव वृद्ध बेहाल 3 अनुशासन गेल अछि हेराय दंगा मचल

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धिमाल भाषी कविता : मादोघा ते बिघा जातिरि लोलि

~डा.सोमबहादुर चातेला~ कामहोइ फुर्सद माजेङहि जातिरि लोलि मन ते उताङ हिघाखे नि जातिरि खाङलि हाइपालि परिबेस बेला लाम्फाको मान्थु ला जिसो कोसोङ भ्याइलि गोइका चारपाहाङ माभ्याइखे ला । सानाइतिगेलाइ फोन पाखे लोलि दोअ्तेङ

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सुधा मिश्रक चार मैथिली मुक्तक

~सुधा मिश्र~ हे नुतन वर्ष हे नूतन वर्ष नवीन उमंग लअबिहा जीवलेल जीवके नव तरंग लअबिहा जुरेबा तुहु जुरायल देखि धरती गगन कलशमे सजाक प्रह्लाद प्रसंग लअबिहा सभ मायके बेटा तु बनिहे हर्ष पसरि जाई ओहन काज तु करिहे

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मैथिली कविता : कोना सुतल छी विधाता ?

~सुधा मिश्र~ नहि डुबैक ककरो भरोसा नहि टुटैक मोनक आशा देखबियौ किछु तँ हे दाता कोना सुतल छी विधाता ? ककरो खीर परोसल थार ककरो खायके नहि जोगार

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मैथिली गीत : माँगिलेबै अहिबात गे

~सुधा मिश्र~ पावनि कय हम पियाके दुलारी सेनुर पिठारक थाप दक पुजबै वरक गाछ गे माँगि लेबै अहिबात गे वर गाछ तर विपहर पुजबै सउसे पात खोपामे खोसबै

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धिमाल भाषी गजल : झापाहि केलाइ हेङ

~मनिस धिमाल~ बार्का बार्का वाइ गेलाइता बुङ झापाहि केलाइ हेङ फुल्टिङ चालाइका खुरता झान्डा चापाहि केलाइ हेङ हाइ दोलि दालि केलाइ माबुझिका द्याङ जेङनाहि ओबालाई हिसो हानेखे ओसोङ धाःपाहि केलाइ हेङ

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मैथिली कविता : मासुमक कसुर कहिदिय हे विधाता

~सुधा मिश्र~ पिता जिनका कहल जाति छै अहिठाम साक्षात् भगवान तहन ओ अपने जन्माओल सँ एना किए छथि अंजान? बुझल नहि छनि जिनका कनियो ककरा कहैछै नाता? तखन ओहन मानुष किए बनैछथि किनको जन्म दाता? रहैत छथि अपन तृष्णा कुनो … Continue reading

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थारू भाषी कविता : भसा

~अज्ञात~ भसावसन्तके फुलवारीमे, फुलेवलाफुल नै छेकी । नय त हाट बजारमे बेचेवलान सप्तरंगीके कुनु रंग छेकी । बरु यिटा त स्वस्थ्यमनके स्वच्छआत्माके तरंग छेकी ।

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मैथिली कथा : अनमोल दहेज

~अंजू झा~ कमलकांत बाबू विनम्र स्वभाव के अपन माटि-पानि सं जुड़ल उच्च सरकारी अधिकारी छैथ। परिवार में पत्नी शोभा आ एकमात्र संतान किसलय छथिन। किसलय एखन अविवाहित छथिन। चार्टर्ड अकाउंटेंट किसलय लेल दिन-राति विवाहक लेल अनेकों प्रस्ताव अबैत छैन। लेकिन … Continue reading

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थामी भाषी कविता : आथाङ उछीकाई श्रद्धाञ्जली !

~डम्बर थामी ‘अनुपम’~ (उज्ज्वल तारालाई श्रद्धाञ्जली !) दार्जिलिङ त्याङ कागझोडाको उखिङ-उखिङ देशेङा आहे-आहे अभाव थाले होइ जंगवीर थामी ङा माईली थामीको कोखङिनी निक्लेहोथ्यो कर्ण थामी उच्याचा थादु बेरेङ नै चाला वानी तोसा राथ्यो उनी वानी तोसा राथ्यो

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थामी भाषी संस्मरण : बलिदानते हाबी थादु पिस्करङा यालेत्ङादु बेरेङ

~डम्बर थामी ‘रोईमीडाती’~ गाइ मिर्‍याङ्को दिनपालिङा राज्य व्यवस्थानामा लाक्पा नाम्पाङादु दिका योद्धा थाङाथ्यो । त्यै थाताले नाले तो बेरेङको लाक्पा नाम्पाइदु । जेखामिपालीको अत्याचारनामा किडिईदु । इतिहासको डिङ्डिङ-डिङ्डिङ पानापाली पल्टईसा राहुन्दुईछ । वर्गसंघर्षको का भट्टी उनी सफरपालीको खाम चिसेरेक्सा दाङुन्दुईछ … Continue reading

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मैथिली कविता : जँ फगुवामे एथिन परदेशिया ?

~सुधा मिश्र~ वसन्त लय अँगना सजेबै मीठ -मीठ पुआ हम पकेबै लाल -हरियर रंग घोरिलेबै सब रंगक अबीर उडेबै

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माेती राम चाैधरी `रत्न´का पाँच थारु भाषी मुक्टक

~माेती राम चाैधरी `रत्न´~ मुक्टक १ सुने सबका, काम करे अपन मन्का कठै । सुखमे हाई-हाई, डुःख अपन ठन्का कठै । मेलमिलापके जिन्गी, सबहे सहयाेग कर्टी, नेपालीनके भाइचारा, डुनियाँ खन्का कठै । मुक्टक २ खाली हाट अाइल रही, खाली हाट … Continue reading

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थारु भाषाके अनूदित बालकथा : मामु बुझ्ठि

~विनय कसजू~ अनुवाड: माेतीराम चाैधरी `रत्न´ ‘चुनु, होमवर्क वरैलाे ? ’ ‘टम्हन्ने वरुवा सेक्नु मामु !’ ‘टब टे अाब किताब पढाे । गेम ज्याडा नाखेलाे ।’ ‘खेल्ले नै हु मामु । बाबक इमेल आईल कि चेक करटु।’ मामु एकडम अस्टे … Continue reading

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थारू भाषी कविता : निर्दयी गुलेता

~अमित पनहर चौधरी~ मधुर स्वर चिरैयन् के मन चुराबेला बगैँचा वा मे का पता गुलेता के जीवन जुटलबा ई चिरैयन् मे। खोतामे अण्डा, बच्चा वा छोर के आइल चिरैयन् चरे गछिया मे दया न लागल ई गुलेता के मार गिरादेल … Continue reading

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सुधा मिश्रका चार मैथिली मुक्तक

~सुधा मिश्र~ हमरो निंद कहाँ? जागल रहलौ अँहा तँ हमरो निंद कहाँ ? व्यक्त कलैछी अँहा हमरा शब्द कहाँ? बिन डोरेके कसल इ मजगुत गिरह बिनु अँहाके धडकने हमरो साँस कहाँ? स्वर्गक अनुभूति भेल अन्हरिया रातिमे चानक प्रवेश भेल

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मैथिली गजल : हम सिनेहक लुती

~सुधा मिश्र~ हम बगियाके फुल गमैक हृदय अँहाक जाइय हम सिनेहक लुती सुलैग हृदय अँहाक जाइय कारी घनगर केश जखन बादल बनि वरैसय वादुर पपिहा गवैय भिजैत हृदय अँहाक जाइय

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धिमाल भाषी कविता : देरा तोम्पा ल्होकाइने

~डा.सोमबहादुर चातेला~ केलाइ हासु, केलाइको पहिचान हाइ ? काङको संस्कृति, राउ रो नाल्पाका काथा हाइ ? काङको इतिहास, गोउरब पाका काथा हाइ ? केलाइ मापानु, एला माभोःनु हेलाउ भोःकाङ ? केलाइ मालेखेनु, केलाइ रेकर्ड माताअ्नु हासु ताअ्ताङ ? काथा इतिहासको, … Continue reading

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