फूल प्रकृतिकेँ श्रृंगार छी हम
बगियाकेँ सुन्दर उपहार छी हम
केव तोरु नै हमरा स्वार्थक लेल
ऋतुराज वशन्तक दुलार छी हम ।।
मिथिलाक्षर ( तिरहुता लिपि ) मे सेहो :
विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘Kritisangraha@gmail.com‘ ईमेलमा पठाईएको । )