मैथिली कविता : शान्ति सन्देश

~विनीत ठाकुर~Binit Thakur

ए ! शान्तिदूत परवा उड़िकऽ आ अप्पन देशमे
फैलऽवै तों शान्ति हिमाल, पहाड़ आ मधेशमे
एतऽकेँ सभ नर–नारी अछि शान्तिकेँ पूजारी
सहत कोना हिंशा पसरल अछि समस्या भारी

हिमालक अमृत जलमे मिलिगेल शोनितकेँ धारा
भेल अछि अखन शसंकित जनता नेपाली सारा
परवा छे तों सहासी पृय सभक मोनक विश्वासी
कर तोँ कोनो उपाय रहे नहि किओ बनवासी

दू भाइ बीच अपन समस्या केँ जितत केँ हारत
नेपाल माइक दुखित नयन नोर कतेक झारत
हटादे रे परवा तोँ भाइ–भाइ बीच मोनक दूरी
अनाहकमे नहि उजरे आब सधवाकेँ माङ सिन्दुरी

नेपाली अनुवाद : शान्ति सन्देश

ए ! शान्तिदूत परेवा उडेर आऊ आफ्नो देशमा
फैलाऊ तिमी शान्ति हिमाल, पहाड, मधेशमा
यहाँका सबै नर–नारी छन् शान्तिका पूजारी
सहन्छन् कसरी हिंशा पसरेको छ समस्या भारी

हिमालको अमृत जलमा मिसियो रगतको धारा
भएछन् यहाँ शसंकित जनता नेपाली सारा
परेवा छौ तिमी सहासी पृय सबैको विश्वासी
गर केही उपाय अब रहोस् नकोही बनवासी

दुई भाइबिच आफ्नै समस्या को जित्ने को हार्ने
नेपाल आमाको दुखित नयनले आँशु कत्ति झार्ने
हटाई देऊ परेवा तिमी भाइ–भाइ बीच मनको दूरी
अनाहकमा नउरोस् अब सधवाको सिँउदो सिन्दुरी

मैथिलीबाट नेपाली अनुवाद : कवि स्वयं

विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही–६, धनुषा

(स्रोत : Majheri)

About Sahitya - sangrahalaya

We will try to publish as much literary work of different authors collected from different sources. All of these work is not used for our profit . All the creative work belongs to their respective authors and publication. If requested by the user we will promptly remove the article from the website.
This entry was posted in अनूदित कविता, मैथिली कविता and tagged . Bookmark the permalink.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.