~रंजित निस्पक्ष~
केहन निर्लज तों भेले ओली,
बापक नाम हँसेले रै !
केहन बंशमें जन्म भेलौ तोहर,
खन्दानक नाम घिनेले रै !
बढ घिर्णित हम भेनौ ओली,
जे जन्म देलियौ हम तोरा रै !
अई स बरहिंया निपुतरे रहितौं,
नै होइतौं अपहेलित,अपमानित रै !
केहन निर्लज………………!
केहन बंशमें………………..!
बढ कलंकित हम भेनौं ओली,
तोरा सनके पुत जनमा !
बुइझ ज पैतियौ तों हेबे एहन,
शोइर्ये घरमें माईर दितियौ तोरा नुन चटा !
केहन निर्लज………………!
केहन बंशमें………………..!
रै अपने भाई पर गोली चला तों,
ताना शाही हिटलर कहेले रै !
मुरी उठा नै चलै छि हम,
ओली केहन ब्यथा तों देले रै !
केहन निर्लज………………!
केहन बंशमें………………..!
ज बापक कहब सुनबे ओली,
त् कहल करहि समाजक रै !
अपन हठ तों छोइर क ओली,
कानी लाज रखही अपन बापक रै !
केहन निर्लज तों भेले ओली,
बापक नाम हँसेले रै !
केहन बंशमें जन्म भेलौ तोहर,
खन्दानक नाम घिनेले रै !
(स्रोत : रचनाकार स्वयंले ‘नयाँ रचना पठाउनुहोस्‘ बाट पठाईएको । )