व्यङ्ग्य कथा : कौन बनेगा प्रधानमन्त्री ?

~सन्तोष चिमरिया~santosh-chimoriya

देबी और सज्जनों !

मै अमिताब बच्चन कौन बनेका प्रधानमन्त्रीमे आप सबका स्वागत कर्ता हुं !

आज हटसिटमे नेपालसे प्राईम मिनिस्टर इन वेटिङ श्री प्रचण्ड जि बिराजमान है । कृपया तालिओं से उनका अभिनन्दन करे ………

“बताईए कैसे लगरहा है प्रचण्ड जि हटसिट मै बिराजमान होके ???”

प्रचण्ड – आप लोँगोकी कृपा है ! पहेले भि नौं महिने बैठे थे । बादमे कुछ सवालका सहि सहि जवाफ नहि दे पाए । उतर्ना पडा….! अभि तो बहुतकुछ सिख चुकां हुं उम्मिद है आगे जाके सहि सहि जवाफ दुङा बस आपलोगकि कृपा बनारहे !

अमिताब – खैर कोहि बात नहि । राजनीति मे तो येह सब होता रहेता है । आपको स्मरण कराँ दे प्रचण्ड जि, इसिलिए मैने भि M.P. से इस्तिफा देकर राजनीति से सन्यास लिया था । चलिए बातें तो होता रहेगा अब खेल सुरु कर्ते है । बिनिमय कि दरके हिसाब से ये रहा १६००० रुपैयाके लिए पहेला प्रश्न आपके लिए ।

> जनसंख्याकि आधार पर दुनियाँका सब से बडी देश चिन कि राजधानी कौन सा हे ?

कुम हल्लियो ! भुँडीमाथी हात बाधेर पनि राख्नु भयो । माने , माने भनेर पनि भन्नुभयो तर जवाफ आएन ! जवाफ आएन कि बेइजिङ्को नाम उच्चारण गर्न हच्किनु भयो कुन्नी प्रचण्डजीको मुखबाट हावा सम्म बाहिर निस्किएन ।

प्रचण्ड जि क्या हुवा ? बहुत हि सरल प्रश्न है । स्पेसल आप के लिए बनाया है । याद किजिए पहेली बार जब आप प्रधानमन्त्री बने थे । ओलम्पिककि दौरान आँप दिल्ली से पहेले गए थे उहाँ पे । ।

प्रचण्ड – ये सब त ठिक है । आपको पता हि होगा मैने एकबार काहा था मार्क्सबाद के बारेमे । मार्क्सबाद हे भि , नहि भि हे । वसै हि बेइजिङ पहेले तो था ! लेकिन अभि पता नहि । इसलिए मे दाबेके साथ कुछ नहि कहे सक्ता ।

” तो आप क्या कर्ना चाहेङे ? लाईफ लाईन लिजिए । “

” ठिक है फोन अ फ्रेन्ड लेना चाहुङा ।”

बताईए किस्को फोन करुं ? बाबुराम जि को?

“नहि नहि व तो गलत जवाफ देकर फसां देंङे । “

“फिर किस्को सुमार्गी जिको लगाउ ?”

नहि नहि उनको पोलिटिक्स मालुम नहि । व तो बस दुस्रो कि पैसे से बडानाम कर्ना जान्ते है ।”

” फिर आँप हि बताएं किसको लगाउ ? “

“केपि ओलि जिको फोन घुमाईए ।”

” क्युँ ? उनको क्युँ ??”

सुना है चिनकी राजधानी उनकी ससुराल जैसा हो गया है । दहेजमे हाईस्पिड रेल लानेकी डिङ फ्याक्ते है । सायद उनको मालुम हो ।

“चलिए ………

किरिङ किरिङ किरिङ …….

” नमस्कार ! मे अमिताब बच्चन बोल रहां हु कौन बनेगा प्रधानमन्त्री से !”

“मांकाफुई ! किसका पति बोलरहा है ?”

“नहि नहि आप सम्झे नहि ! मै अमिताब बच्चन बोल रहा हुं कौन बनेगा प्रधानमन्त्री से । ईश बख्त आपके एक मित्र हमारे पास हैं ।”

” मेरा मित्र ! कौन मेरा मित्र ? राजेन्द्र महतो सिकायत लेके आपके पास आए क्या ?”

“राजेन्द्र महतो ! वों क्युँ आएङे मेरे पास सिकायत लेके ?”

“आप भि इलाहबाद युपि के हि हैंन ??आए होङे इसि नाते मेरे सिकायत लेके !”

जि नहि ! मेरे पास आपके दुस्रे मित्र है श्री प्रचण्ड ! वो पहेले हि प्रश्न मे अटक गए है । आपकी मदत चातेंहै ।”

माकाफुई ! पहिले भि अटक गया था दिल्लीमे । मैने तो नहि नहि बोला था ! गिरिजा बाउने मदत गर्के लेके आया ! अभि फिर उधर जाके अटक गया ! अटक्ने दो या लटक्ने दो मै नहि गरुङा मदत माकाफुई ! “

” माकाफुई बोलके फोन पटकदिए ! बडे बख्तमिज है आपके दोस्त ! “

“हं यह तो है ! बख्तमिजी उनकी एकल पहिचान है ।”

“मुझे अफसोश है आपकी एक लाईफ लाईन चली गई ! अभि भि आपके पास 50/50 और जनताकी भोट कि लाईफ लाईन जो है व बांकी है । क्या आप 50/50 इस्तमाल कर्ना चाहेङे ? “

” जि नहि !”

“तो क्या जनता के मत लेना पसन्द करेङे ?”

“जि वो तो बिल्कुल हि नहि ।”

” देखिए महासय आपके पास जो हे अभि सिर्फ २ लाईफ लाईन बांकी है । या तो यीनकी इस्तमाल करके खेल आगे बंडाए या फिर कुईट करके जो हे ,आप खेल छोडकर जा सक्ते है । ”
कम्रेडले धेरै सोच्नुभयो र अन्ततः खेलको मैदान छोडेर जाने निर्णयमा पुग्नुभयो ।

“चलिए आपकी मर्जी ! लेकिन जाते जाते आप हामे ये बताईए कि दो दो लाईफ लाईन हुनेकी बाबजुद आपने यीनका इस्तमाल किया क्युं नहि ??”

” जि देखिए कड्वी सच बोलता हुँ । ये जो आपकी २ लाईफ लाईन है न उनमे मेरा भरोसा नहि रहा अब ! माने 50/50 जो हे उसके साथ कबि भि एड्जसमेन्ट नहि बन पाया । पिछेले चुनाबकी हि बात कर्ते है , हमारा पार्टीको ज्यादातर भोट 10% से भि निचे मिला और आप्ने बन्देका ३००० जो हे व जफ्त हो गया । और सवाल रहा जनमत कि उसकी नाम से हि मुझे तो एलर्जी है । नफरत है । यीसी जनमतके वजेह से कहाँ पहुच्ने वाले हम कहाँ रहे गए ! यीसीके कारण तिस्रे नंबर पे आया था मै काठमाडौ १० मे । वो तो सिराहा था जिस्ने डुप्ती नैया पार लगादी ! “

“चलिए प्रचण्ड जि इसिलिए मैने पहेले भि कहा था कि क्युं मैने राजनीति से जो है सन्यास लिया था । आप आए हमारी शो कि गरिमाको बडाएं । आपका बहुत बहुत धन्यवाद । हांलाकी आपको खाली हात लौट्ना पडा यिसके लिए मुझे बेहद दुख है ।”

कोहि बात नहि बच्चन साप ! आपकी प्रोग्राम से हि बस खाली हात जा राह हुं । क्युकी आपने प्रश्न हि कुछ ऎसा पुछा कि अगर मै जवाफ देता तो एक करोडकि मुकाबला और बहुत कुछ गवाना पड्ता था । मै एक करोड तो नहि ले जा पाया , परन्तु दिल्ली से जाते बख्त लानेके लिए मेरे पास बहुत कुछ है ।

अमिताब – चलिए ! आपको जोकुछ भि दिल्लीकि तरफ से मिला हो , बहुत बहुत बधाई हो । आप हमारे मेहेमान हे । मिलाना भि चाहिए । सीता भाउजीको हमारा प्रणाम देना । और प्रकाशको प्यार ।

प्रचण्ड – जि बिल्कुल । जयाजीको मेरा जयहिन्द बोलदेना । एश्वर्य और अभिको बहुत सारा प्यार ।

अमिताब- चलिए , जयहिन्द ।

प्रचण्ड – जयहिन्द ।

(स्रोत : रचनाकारको फेसबुकबाट सभार)

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